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पुरुषों के संबंध में इन 17 तथ्यों को जानकर उनके प्रति गलत धारणाएं दूर हो जाएंगी

पुरुषों पर अधिकतर जितने भी शोध हुए हैं, वे अधिकतर 18-24 वर्ष के युवाओं पर केंद्रित हैं। पर सच्चाई यह है कि उम्र बढ़ने के साथ ही पुरुष भी बेहतर होते चले जाते हैं। इसलिए उनको लेकर जो गलतफहमी फैली हुई है, उसे हम आज इस लेख के माध्यम से दूर करेंगे।

1. ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसाइटी’ ने वर्ष 2007 में किए गए शोध को प्रकाशित किया, जिसमें बताया गया कि 30 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में धोखा देने की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है। इस उम्र के पड़ाव के बाद, उनमें से अधिकतर अपने परिवार को संभालने पर ही अपना ध्यान केंद्रित करते हैं।

2. जिन पुरुषों को ईमानदार होने में असहजता महसूस होती है, ऐसे पुरुषों में एक खास मिश्रण का जीन होता है। ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ’ ने वर्ष 2008 में ये घोषित किया कि ऐसे पुरुषों की संख्या मात्र 40 फीसदी के आसपास ही है।

3. पुरुष अपने कार्यस्थल पर स्थापित आदेश श्रृंखला के अंतर्गत काम करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये उनके टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन और आक्रामकता को कम करता है। एक अस्थिर पदक्रम होने पर उन्हें चिंता और तनाव महसूस होने लगता है।

4. अधिकतर पुरुषों को अपने दोस्तों की खिंचाई करने में बड़ा मजा आता है और वे यह भी पसंद करते हैं कि एक उचित क्रम बना रहे। यह व्यवहार उनमें 6 साल की उम्र से ही शुरू हो जाता है।

5. वर्ष 2000 में किए गए ‘एवोल्यूशन एंड ह्यूमन बिहेवियर’ नामक शोध में ये पाया गया कि जो पुरुष पिता बनने वाले होते हैं, उनके भी हॉर्मोन्स में बदलाव देखने को मिलते हैं। मादा फेरोमोन के कारण उनके प्रोलैक्टिन की मात्रा बढ़ जाती है और टेस्टोस्टेरोन की मात्रा कम हो जाती है। यही कारण है कि उनके व्यवहार में पालन-पोषण के प्रति काफी सजगता आ जाती है।

6. युवा पुरुष अक्सर अपने रुतबे और साथियों के संबंध में एक-दूसरे के साथ काफ़ी प्रतिस्पर्धा दिखाते हैं, लेकिन जब उनकी उम्र और बढ़ती है तो वे एक दूसरे के साथ मेलजोल और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

7. वर्ष 2009 में ‘हॉर्मोन्स एंड बिहेवियर’ पर प्रकाशित किए गए एक शोध में पाया गया कि जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होता है वे एक- दूसरे से आमने-सामने की प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, पर जिनका टेस्टोस्टेरोन स्तर कम होता है वे एक टीम के सदस्य के तौर पर प्रतिस्पर्धा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

8. जो पिता अपने बच्चों के साथ खेल- कूद में उनका साथ देते हैं, उनके बच्चों में काफी आत्मविश्वास और समझदारी आ जाती है। जो पिता अपने बच्चों की जिन्दगी में उनके साथ काफ़ी घुले-मिले होते हैं, उनके बच्चों में किसी भी गलत प्रकार के यौन व्यवहार का ख़तरा काफी कम हो जाता है।

9. प्रकृति भी ऐसे पिताओं का सम्मान करती है, जो अपने बच्चों से जुड़े रहते हैं। चूंकि बच्चों को किसी के साथ की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे पिता जो अपने बच्चों को हमेशा अपनेपन का एहसास कराते हैं, उनके बच्चों में और उनके जीन में भी हमेशा कामयाबी के लक्षण पाए जाते हैं।

10. पुरुषों में प्राकृतिक रूप से अपने आस-पड़ोस की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी होती है। उनके दिमाग़ का वह हिस्सा जो इसके लिए ज़िम्मेदार है, वह महिलाओं की तुलना में अधिक बड़ा होता है।

11. टेस्टोस्टेरोन के कारण पुरुषों के दिमाग़ में आवेग को नियंत्रित करने वाला भाग कमज़ोर पड़ जाता है। इसी कारण वे महिलाओं से खुद-ब-खुद आंख लड़ाने लग जाते हैं। पर यदि महिलाएं उनकी नजरों से ओझल हो जाएं तो वे उनको भूल भी जाते हैं।

12. पुरुषों में भी काफी सहानुभूति होती है, पर यदि कोई परेशान हो तो वे अपना ध्यान इस बात पर लगाते हैं कि उस समस्या का क्या समाधान किया जा सकता है। ऐसे समय में वे सांत्वना देने के बजाय समाधान निकालने को अधिक महत्त्व देते हैं।

13. महिलाओं की तुलना में पुरुष सामाजिक मेल-जोल अधिक नहीं रखते, इसलिए उन्हें अकेलापन और अधिक महसूस होता है, जिससे उनके मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी फर्क पड़ता है।

14. जिन पुरुषों का महिलाओं से काफी लंबे समय तक संबंध रहता है, वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। इसके साथ ही उनका स्वास्थ्य भी अच्छा होता है और वे तनावमुक्त रहते हैं। दूसरे पुरुषों की तुलना में उनकी प्रजनन क्षमता भी अधिक होती है।

15. छोटे बालक बालिकाओं की तुलना में अपनी बात को काफी अच्छे तरीके से समझाने में सक्षम होते हैं और वे जल्दी प्रतिक्रिया भी देते रहते हैं। जब वे थोड़े बड़े होते हैं, तो उन्हें अपने चेहरे के हाव-भाव को नियंत्रित करना आ जाता है, जिस कारण वे करो या मरो जैसी स्थिति को अच्छी तरह संभाल लेते हैं।

16. पुरुषों का लेफ्ट हिप्पोकैम्पस (दिमाग़ का वह हिस्सा जो याददाश्त को नियंत्रित करता है) बड़ा होता है और उनका अमाईगदाला (दिमाग़ का वो हिस्सा जो भावनाओं को नियंत्रित करता है) भी बड़ा होता है।

17. लोगों का मानना है कि पुरुषों और महिलाओं का दिमाग़ बिलकुल अलग होता है, पर सच्चाई यह है की केवल 0-8 % महिलाओं और पुरुषों का ही दिमाग़ बिलकुल अलग होता है; बाकि सब में एक-दूसरे की कुछ न कुछ विशेषताएं जरूर पाई जाती हैं।

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